कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन हुआ. लॉकडाउन के साथ ही देशों और राज्यों की सीमांएं बंद हो गईं. लोगों का आना-जाना बंद हो गया. और एक के बाद एक तमाम काम धंधे प्रभावित हुए. लेकिन जिनका काम-धंधा ही आने-जाने से जुड़ा था, उनका तो सब कुछ बंद हो गया. जैसे कि ट्रैवल इंडस्ट्री.
मुख्य बातेंः
- कोरोनावायरस की ट्रैवल इंडस्ट्री पर दोहरी मार पड़ी है.
- ट्रैवल एजेंट्स के पास काम बहुत कम हो गया है और उनके बिजनस मुश्किल में हैं.
- एयरलाइंस से नाराज लोगों का गुस्सा भी ट्रैवल एजेंट्स को झेलना पड़ता है.
ट्रैवल इंडस्ट्री पर कोरोनावायरस की भारी मार पड़ी है. आकाश ट्रैवल के गगनदीप बताते हैं कि काम पूरी तरह ठप्प हो गया है.
यहां सुनिए, गगनदीप से हुई पूरी बातचीतः
वह कहते हैं, ”एक तो आर्थिक दिक्कत हो गई है जबकि सरकार जॉबकीपर और जॉबसीकर पेमेंट के जरिए व्यापारियों को मदद दे रही है. लेकिन काम बिल्कुल खत्म है. बिल्कुल काम नहीं है. घर पर बैठे बस ईमेल के जवाब दे रहे हैं. रिफंड्स प्रोसेस कर रहे हैं. बिजनस पूरी तरह खत्म हो चुका है.”
ट्रैवल एजेंट्स को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है क्योंकि काम तो बंद है ही, साथ ही उन्हें पुराने ग्राहकों की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है क्योंकि वे रिफंड में हो रही देरी से नाराज हैं.

A passenger is seen at the Jetstar check -in counter at Sydney Airport, Sydney, Thursday, July 9, 2020. Source: AAP Image/Bianca De Marchi
गगनदीप बताते हैं कि गुस्से में ग्राहक सोशल मीडिया पर ट्रैवल एजेंट्स की बुराई करते हैं जिससे भारी नुकसान होता है.
वह कहते हैं, “कई एयरलाइन्स तो ऐसी हैं जो रिफंड दे ही नहीं रही हैं. जैसे मलयेशियाई एयरलाइंस कोई रिफंड नहीं दे रही है. एयरइंडिया रिफंड दे रही है लेकिन कैंसलेशन पेनल्टी ले रही है जबकि इसमें ग्राहक का कोई कसूर नहीं है.”
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“ग्राहक अपने पैसों के लिए चिंतित हैं. उन्हें रिफंड मिलेगा या नहीं क्योंकि उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से टिकट खरीदे थे. लेकिन उन्हें जवाब हमें देना होता है. और उनका गुस्सा भी हमें झेलना पड़ता है.”
गगनदीप कहते हैं कि अगले एक साल तक कुछ भी ठीक होता नहीं दिख रहा है और हालात सामान्य होने के बाद भी बिजनस को वापस उसी स्थिति तक पहुंचने में तीन-चार साल लग जाएंगे.
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