सोमवार को प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने स्थायी नागरिकों की संख्या में 20 हजार की कटौती का बचाव किया और इसे सख्त जांच-परख का नतीजा बताया. बीते साल ऑस्ट्रेलिया में एक लाख 63 हजार लोगों को स्थायी निवास वीसा या पीआर दिया गया जो पिछले एक दशक में सबसे कम है. और ऐसा तब है जबकि ऑस्ट्रेलिया आने की चाह रखने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है.
टर्नबुल ने कहा, "इस बार अर्जियां सबसे ज्यादा आईं. ऐसा कैसे हुआ? क्योंकि हमने सुनिश्चित किया कि यहां वही आए जिसकी जरूरत हो और जिसे हम चाहते हैं. और यही हमारा मकसद है."
टर्नबुल ने कहा कि उनकी सरकार इमिग्रेशन प्रोग्राम को एक भर्ती प्रक्रिया की तरह देखती है. उन्होंने कहा, "हम सर्वोत्तम और सबसे प्रतिभाशाली लोगों को ही भर्ती करना चाहते हैं. लेकिन हम ऐसा एक भी अनचाहा आप्रवासी नहीं चाहते जिसकी यहां जरूरत ना हो."
गृह मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि इस ब्रिजिंग वीसा पर रह रहे ऐसे माइंग्रैंट्स की सबसे ज्यादा संख्या थी जिनकी अर्जियों पर विचार हो रहा था. मंत्रालय के मुताबिक जब किसी व्यक्ति के ऑस्ट्रेलिया में रहने की अर्जी पर विचार हो रहा होता है, तब उस अवधि के दौरान उसे वैध रूप से देश में रहने के लिए ब्रिजिंग वीसा दिया जाता है. इसलिए ब्रिजिंग वीसा पर रह रहे लोगों की संख्या को ऑस्ट्रेलिया में रहने की मांग से जोड़कर देखा जाता है.
मंत्रालय के मुताबिक मार्च तक इस वित्त वर्ष के नौ महीनों में ब्रिजिंग वीसा पर रहने वाले लोगों की संख्या एक लाख 37 हजार से बढ़कर एक लाख 94 हजार 900 हो गई है. यानी स्थायी वीसा देने की रफ्तार कम हुई है.
रफ्तार में इस कमी का असर यूं तो सब पर हुआ है लेकिन भारत और चीन से आने वाले आप्रवासी खासे प्रभावित हुए हैं. पिछले नौ महीनों में ब्रिजिंग वीसा पर रहने वाले चीनी निवासियों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है. पिछले साल के 14 हजार एक सौ से बढ़कर इस साल के नौ महीनों में यह संख्या बढ़कर 29 हजार 200 हो गए हैं.
ब्रिजिंग वीसा पर रहने वाले आप्रवासी भारतीयों की संख्या 16 हजार 700 से बढ़कर 28 हजार 200 हो गई है.