कोविड-19 महामारी के बीच अन्तर्राष्ट्रीय छात्रों के शोषण के मामले उजागर हो रहे हैं. एक विशेष श्रृंखला में एसबीएस ने उन तरीकों की जांच की है जिनके ज़रिए अन्तर्राष्ट्रीय छात्रों का फायदा उठाया जा रहा है.
मुख्य बातें:
- SBS की एक श्रृंखला में सामने आया है कि कोविड-19 महामारी के दौर में पहले से शोषित अन्तर्राष्ट्रीय छात्रों को 12 डॉलर प्रतिघंटा से भी कम वेतन दिया जा रहा है.
- माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था के दोबारा खुलने पर ये स्थिति और बिगड़ सकती है.
- हालांकि सरकार ने ऐसे मामलों में सख्ती के संकेत दिए हैं.
एक नए शोध के मुताबिक इस प्रताड़ना में वेतन की चोरी एक बड़ा कारक है और इस स्थिति के और ख़राब होने की संभावना है.
होंडुरास की एक छात्रा कैरोलिना के लिए ऑस्ट्रेलिया सीखने, दुनिया को जानने और काम करने की एक आदर्श जगह है. यहां हम इस छात्रा को कैरोलिना कह रहे हैं क्योंकि वो अपनी पहचान नहीं बताना चाहती हैं.
23 साल की इस छात्रा को यहां जल्द ही ये पता चल गया है कि उन्हें यहां रहने के लिए इस सपने को तोड़ना होगा.

Marie Angrilli at work as a cleaner in Mlebourne CBD. Monday, June 3, 2013. Source: AAP Image/David Crosling
वह कहती हैं, "मैं इस काम को जल्द छोड़ना चाहती हूं क्योंकि जब-जब मुझे ये लगता है कि मेरा फायदा उठाया जा रहा है तब मुझे परेशानी होती है."
कैरोलिना ने सिडनी के एक कैफे में करीब 18 महीनों तक खाना परोसने का काम किया. इस दौरान वह अंग्रेज़ी भाषा के एक निजी कॉलेज एसईएलसी में लीडरशिप और मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही थीं.
यहां तक कि कोरोनावायरस महामारी के पहले भी कैरोलिना महज़ 20 डॉलर प्रति घंटे की दर पर काम कर रही थीं. अब जबकि लॉकडाउन के दौरान व्यवसायों को भी नुकसान उठाना पड़ा है तब कैरोलिना के काम की प्रति घंटा कीमत 11 डॉलर तक आ गई है.
ये महज़ कैरोलिना की ही कहानी नहीं है.
मज़दूरी की चोरी पर ऑस्ट्रेलिया भर में करीब 5 हज़ार से ज्यादा अन्तर्राष्ट्रीय छात्रों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि हालात काफी बुरे हैं.
करीब 26 फीसदी तो ऐसे छात्र थे जिन्हें 12 डॉलर प्रति घंटे से भी कम का भुगतान किया गया था.
यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स से एसोसिएट प्रोफेसर बैसिना फारबेनब्लूम कहती हैं कि ये आंकड़े एक बड़े मुद्दे की ओर इशारा करते हैं.
वह कहती हैं, "इस तरह के मामलों को मैं ग़ुलामी के वर्तमान रूप में देखती हूं. यहां पर ऐसे लोगों का फायदा उठाया जा रहा है जो कि अपनी जीविका के लिए पैसा कमाने के लिए आतुर हैं."
अध्ययन में ये बात भी सामने आई है कि इस स्थिति में भी करीब 62 फीसदी छात्रों ने कभी मदद पाने के लिए कोशिश नहीं की. 48 प्रतिशत छात्रों को डर था कि कहीं उन्हें अपनी नौकरी ही ना खोनी पड़े और 38 फीसदी लोग वीज़ा को ख़तरे में नहीं डालना चाहते थे.
यही कारण है कि कैरोलिना भी अपनी पहचान छुपाना चाहती हैं.
वह कहती हैं, "मुझे नहीं पता कि क्या मुझे किसी वक़ील की मदद लेनी चाहिए ? मैं ये भी नहीं जानती कि ये कितना लंबा खिंचेगा और क्या ये मेरे वीज़ा पर असर डालेगा? इसलिए सबसे आसान तरीका ये है कि ख़ामोश रहा जाए."
This might interest you:

Remove 40-hour work limitation on the student visa, recommends study
इस अध्ययन के लेखकों का कहना है कि अन्तर्राष्ट्रीय छात्रों के बीच इस तरह के मामलों के खिलाफ़ ना बोलने या फिर अपने नियोक्ता के खिलाफ़ रिपोर्ट ना करने की प्रवृत्ति एक ऐसा वातावरण बना रही है जिसमें व्यवसायों का लगता है कि वो मज़दूरी की चोरी से बच सकते हैं. और अर्थव्यवस्था के दोबारा खुलने पर इन हालातों के और ख़राब होने की आशंका है.
माइग्रेंट वर्कर्स टास्कफोर्स के पूर्व अध्यक्ष एलन फेल्ज़ कहते हैं कि जानबूझ कर कम भुगतान करने वालों के लिए जितनी जल्दी जेल की सज़ा की प्रावधान होगा उतनी जल्दी ये हालात सुधरेंगे.
शिक्षा मंत्री डेन टेहान ने ज़ोर देकर कहा है कि सरकार कर्मचारियों के शोषण को लेकर काम कर रही है. वहीं लेबर पार्टी के शिक्षा मामलों की प्रवक्ता तान्या प्लीबेरसेक ने भी कहा है कि विपक्ष भी इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रहा है.
This might interest you:

‘No fixed timeline’ for the return of international students, says Education Minister
हालांकि कैरोलिना का संदेश बाकी अन्तर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए ये है कि वे सावधान रहें. इस बात के प्रति जागरूक रहें कि उन्हें कितना मेहनताना मिल सकता है और अपने नियोक्ता को फायदा ना उठाने दें.
कोरोनावायरस महामारी से जुडे किसी भी समाचार को अपनी भाषा में पाने के लिए आप sbs.com.au/coronavirus पर जा सकते हैं.
ऑस्ट्रेलिया में लोगों को आवश्यक तौर पर एक दूसरे से 1.5 मीटर की दूरी बनाए रखनी चाहिए. लोगों के एक जगह पर एकत्र होने की सीमा के लिए अपने राज्य के प्रतिबंधों को देखें. अगर आप बुखार या जुक़ाम जैसे लक्षणों का सामना कर रहे हैं, तो अपने घर पर ही रहें और अपने डॉक्टर को कॉल करके परीक्षण की व्यवस्था करें. या कोरोना वायरस स्वास्थ्य सूचना हॉटलाइन को 1800 020 080 पर संपर्क करें.