डॉक्टर इम्तियाज़ हसन जामिया मिलिया इस्लामिया में वैज्ञानिक हैं और दवाओं की खोज करने के लिए शोध में लगी एक टीम का नेतृत्व करते हैं.
डॉक्टर हसन बताते हैं कि उनका मुख्य शोध कैंसर की दवाओं की खोज पर आधारित है. लेकिन वह कहते हैं कि उनके कुछ छात्रों की पहल पर उनकी टीम ने कोविड-19 के संक्रमण के उपचार के लिए दवा खोजनी शुरू की.
मुख्य बातें:
- डॉक्टर हसन के मुताबिक उनका शोध नई दवा खोजने के बजाए पहले से प्रयुक्त की जा रही दवाओं के ज़रिए कोविड-19 वायरस के उपचार पर आधारित था.
- वो कहते हैं कि अगर उनके द्वारा सुझाई गईं दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल हो जाए तो इस बात का सही आंकलन हो सकेगा कि इस दवा का वास्तविक असर कैसा है.
- जामिया मिलिया इस्लामिया के सेंटर फॉर इंटर डिसिप्लिनरी रिसर्च इन बेसिक साइंसेज में कोविड-19 के उपचार के लिए नई दवा पर शोध भी जारी है
शोध को शुरू करते वक्त डॉक्टर हसन की टीम के सामने दो रास्ते थे. एक तो बिल्कुल नई दवा खोजने का, जिसे आम लोगों के लिए उपलब्ध होने में कई साल लग सकते थे. और दूसरा बाज़ार में उपलब्ध दवाओं का परीक्षण करके एक नया और असरकारक चिकित्सकीय विकल्प देना. तो डॉक्टर हसन और उनकी टीम ने दूसरे विकल्प को चुना.
वह कहते हैं, "हम लोग काम करते हैं स्ट्रक्चर बेस्ड ड्रग डिस्कवरी पर. यह एक नया कॉन्सेप्ट है. इसे नट और बोल्ट या फिर ताला और चाभी के उदाहरण से समझा जा सकता है. यानी अगर आपके पास ताला है तो आप उसकी चाभी बना सकते हैं. हमारे पास इस वायरस का स्ट्रक्चर उपलब्ध था."
डॉक्टर हसन ने एसबीएस हिंदी को बताया कि इन दो दवाओं में से एक हैपेटाइटिस-सी के उपचार में प्रयुक्त होती है और दूसरी एचआईवी के उपचार में. कैसे ये दवाएं कोविड-19 वायरस से लड़ने में सहायक होंगी इस बारे में डॉक्टर हसन बताते हैं,"ये दवाएं इस वायरस के प्रोटीन को प्रभावित कर इसेे सीमित कर सकती हैं."

Dr. Imtiyaz Hasan with Mr. Taj Mohammad Source: Supplied, Dr Imtiyaz Hasan
डॉक्टर इम्तियाज़ बताते हैं कि उनकी टीम ने न केवल पहले से ही प्रयोग में लाई जा रही दवाओं पर शोध किया बल्कि उनका शोध नई दवा पर भी जारी है. वह बताते हैं कि उन्होंने मौजूदा दो दवाओं को तीन बार टेस्ट किया है.
वह कहते हैं कि भारत में शोधकर्ताओं और मेडिकल क्षेत्र के बीच एक बड़ा फासला है जिसकी वजह से वह इन दवाओं का कोविड-19 के संबंध में क्लीनिकल ट्रायल नहीं कर पाए हैं. इसी वजह से उन्हें शोधपत्र जारी करने में भी काफी समय लगा.
वह कहते हैं, "क्योंकि हम भारत में काम करते हैं, तो यहां डॉक्टर और शोधकर्ताओं के बीच सामंजस्य में बड़ा अंतर है, इस वजह से हम इसका क्लीनिकल ट्रायल नहीं कर पाए हैं."
मलेरिया के उपचार में दी जाने वाली दवा 'क्लोरोक्वीन' को लेकर पिछले दिनों चिकित्सा जगत के लोग काफी उत्साहित दिखे थे. उनका मानना था कि इसे कोविड 19 के उपचार में प्रयोग किया जा सकता है. डॉक्टर हसन कहते हैं कि कई वर्तमान शोधों के जरिए इस दवा को नकारा जा चुका है.
डॉक्टर इम्तियाज़ हसन का कहना है कि इसके आगे के शोध के लिए उन्हें एक ख़ास तरह की लैब चाहिए होगी. इसके लिए उन्हें भारत सरकार की और ज्यादा मदद की ज़रूरत है. वह कहते हैं कि फिलहाल उनके शोध को क्लीनिकल ट्रायल की ज़रूरत है.
डॉक्टर इम्तियाज़ बताते हैं कि दुनिया भर में कई लोग कोविड-19 की दवा बना के लिए शोध कर रहे हैं लेकिन उनका शोध वर्तमान में उपलब्ध दवाओं पर आधारित है. वह कहते हैं कि अपने शोध पत्र को उन्होंने भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन तक पहुंचा दिया है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ये शोध लोगों को फायदा पहुंचाएगा.
ऑस्ट्रेलिया में लोगों को एक दूसरे से 1.5 मीटर की दूरी बनाए रखना अनिवार्य है. लोगों के जमा होने की सीमा के संबंध में अपने राज्य के प्रतिबंधों को देखें.
कोरोनावायरस का परीक्षण अब पूरे ऑस्ट्रेलिया में व्यापक रूप से उपलब्ध है. यदि आप सर्दी या फ्लू के लक्षणों का सामना कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर को कॉल कर जांच की व्यवस्था करें या 1800 020 080 पर कोरोनावायरस स्वास्थ्य सूचना हॉटलाइन से संपर्क करें.
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