उनकी पहचान जाहिर ना करने के लिए उनका नाम बदल कर ब्रायन कर दिया है।
ब्रायन कहते हैं कि जीवन में लालच नहीं करना चाहिए क्योंकि इसी लालच ने उन्हें अपने परिवार से दूर जेल भिजवा दिया।
"जो आपका नहीं है उसको कभी मत लो चाहे वो पत्थर ही क्यों न हो, हमारे पास जो है उसकी कीमत हमें उसके जाने के बाद पता चलती है।"
जेल की चारदीवारियों के पीछे ब्रायन का एक दोस्त उनके लिए सहारा बन गया, लेकिन इस दोस्त से उनकी मुलाकात दिन में सिर्फ एक बार होती थी और कई बार तो उन्हें इस मुलाकात के लिए दूसरे कैदियों को अपने खाने की चीजें भी देनी पड़ती थी। उस दोस्त का नाम है एसबीएस हिंदी रेडियो जो हर शाम पांच बजे उन्हें बाहरी दुनिया में हो रहे बदलाव की जानकारी देता था।
"एसबीएस हिंदी के आखिर में आने वाला वो गाना मुझे अहसास करता था कि मैं हूँ और मुझे अपनी ग़लती के आगे एक नए रस्ते पर बढ़ना है।"