मुख्य लेखक प्रोफेसर ट्राई फान का कहना है कि बच्चों में दो तरह की प्रतिरोधक शक्तियां होती हैं।
पहली प्राकृतिक होती है।
यह सुरक्षा का पहला चक्र है जिसमें त्वचा और बलगम जैसी सतहें शामिल होती हैं। बच्चों की प्रतिरोधक शक्ति का यह सुरक्षा चक्र बहुत सशक्त होता है जो इंटरफेरोन नाम के रसायन बनाता है, जिससे बैक्टीरिया और वायरस मारे जा सकते हैं।
प्रोफेसर फान का कहना है कि यही वजह कि वे बच्चे जिन्हें पहले से ही कोई चिकित्सीय समस्याएं नहीं होतीं, वे कोरोना के हलके लक्षण ही प्रस्तुत करते हैं और वयस्कों के मुकाबले इस बिमारी से जल्दी उबर जाते हैं।
हालांकि, वे कहते हैं कि प्रतिरोधक शक्ति उम्र के साथ कम होती जाती है।

Professor Tri Phan. Credit: Garvan Institute of Medical Research
बी सेल्स एंटीबॉडी का निर्माण करते हैं और टी सेल्स वायरस से संक्रमित सेल्स को मारते हैं जिससे शरीर में वायरस का प्रसार रुकता है।
प्रोफेसर फान एसबीएस को बताते हैं कि, “बच्चों में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता इतनी शक्तिशाली होती है कि वह बहुत तेज़ी से वायरस को शरीर से बाहर कर देती है। इसी वजह से बी और टी सेल्स के पास वायरस को याद रखने की क्षमता विकसित ही नहीं हो पाती।”
इसी वजह से जब बच्चे दोबारा कोरोना संक्रमित होते हैं, उनके शरीर को वायरस याद ही नहीं होता और वह इसे एक नए खतरे की तरह देखता है।मुख्य लेखक प्रोफेसर ट्राई फान
उन्होंने आगे कहा कि, “बच्चे दोबारा संक्रमित होने पर बीमार पड़ने के खतरे में होते हैं। इसी कारण उनका टीकाकरण करवाना आवश्यक होता है।”
दोबारा संक्रमण का खतरा
प्रोफेसर ब्रेंडन मेकमुलन एक बाल संक्रामक रोग विशेषज्ञ और माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। उनका कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट भी बच्चों को दोबारा संक्रमित कर सकते हैं।
वे कहते हैं, “पांच साल या उससे अधिक के सभी लोगों के लिए टीकाकरण उपलब्ध है। टीकाकरण छः महीने से लेकर पांच साल से कम के उन बच्चों के लिए भी उपलब्ध है जो गंभीर बीमारी के जोखिम में हैं।”
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ें दिखाते हैं कि महामारी की शुरुआत से 2.2 मिलियन ऑस्ट्रलियाई बच्चों जिनमें से करीब आधा मिलियन बच्चे पांच साल से कम की उम्र के हैं, में कोरोना संक्रमण फैला। इनमें से 24 बच्चों की मृत्यु भी हुई।
हालांकि, ऑस्ट्रलियाई सरकार दोबारा हुए संक्रमण का कोई डेटा नहीं एकत्र करती।
पर वह यह ज़रूर कहती है कि दोबारा संक्रमण का खतरा कई मानकों पर निर्भर करता है जैसे उम्र, पूर्व संक्रमण, वैरिएंट, व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता और टीकाकरण स्थति।
“कुछ शोध दिखाते हैं कि बच्चों में SARS-CoV-2 के दोबारा संक्रमण का खतरा वयस्कों के बनिस्बत कम होता है।”
“हालांकि अलग-अलग आयु वर्गों में कोरोना के दोबारा संक्रमण होने पर और शोध की आवश्यकता है, जिसमें कोरोना की लहर, उस समय फैले वैरिएंट और कम होती प्रतिरोधक क्षमता के प्रभाव शामिल होने चाहिए।”
जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित एक नए शोध के अनुसार अमरीका में अगस्त 2021 से लेकर जुलाई 2022 तक कोविड-19 बच्चों में संक्रामक रोग से होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण था।
रिपोर्ट में कहा गया कि, “कोविड-19 से अमरीका में 940,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई, जिसमें 1,300 बच्चे और किशोर थे जिनकी उम्र 0–19 साल के बीच थी।”
लापरवाही
प्रोफेसर फान का कहना है कि इस विश्वास कि बच्चों में कोरोना के मद्धम लक्षण होते हैं और वे इससे जल्दी उबर भी जाते हैं, ने अभिभावकों को लापरवाह बना दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार केवल 51 प्रतिशत 15 साल की उम्र तक के बच्चों को कोरोना टीके की दो ख़ुराकें मिली हैं।
प्रोफेसर फान का कहना है कि बच्चों का टीकाकरण कराना एक अच्छा उपाय है क्योंकि शोध दिखाते हैं कि संक्रमण और टीकाकरण की मिश्रित प्रतिरोधक क्षमता कोविड संक्रमण में गंभीर बिमारी और अस्पताल भर्ती होने से बचाने में ज़्यादा कारगर है।
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