मुख्य बिंदु
- ऑस्ट्रेलिया ने चीन से आने वाले यात्रियों पर नए कोरोना जांच प्रतिबंध लागू किये हैं।
- विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ऑस्ट्रेलिया में होने वाले प्रकोप पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा।
- तो आखिर क्या वजह है कि ऑस्ट्रेलिया यात्रियों पर यह अनिवार्य नियम लागू कर रहा है, और क्या यह नियम और भी देशों से आने वाले यात्रियों पर लागू हो सकता है?
चीन से आने वाले यात्रियों पर लागू किये गए नए कोरोना जांच नियमों ने अब दूसरे देशों में होने वाले कोरोना प्रकोप पर ऑस्ट्रेलिया की प्रतिक्रिया को लेकर सवाल उठा दिए हैं। का प्रमाण देना होगा।
विशेषज्ञों ने यह कहते हुए सरकार के इस फैसले की निंदा की है कि यह उन देशों को निशाना बनाने जैसा होगा जो कोरोना के नए प्रकोपों से जूझ रहे हैं।
ऑस्ट्रलियन नेशनल यूनिवर्सिटी से संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर पीटर कौलीनॉन का कहना है कि चीन से अधिक संक्रमित लोगों को ऑस्ट्रेलिया आने देने से ऑस्ट्रेलिया में कोरोना के प्रकोप पर ख़ास प्रभाव नहीं पड़ेगा, तब भी जब चीन से आने वाले यात्रियों में दूसरे देशों से आने वाले यात्रियों के बनिस्बत संक्रमण की दर पांच से दस गुना अधिक ही क्यों न हो।
उनका कहना है कि, “दुनिया भर से इतने लोग फिर ऑस्ट्रेलिया आ रहे हैं कि चीन के संक्रमित यात्री फिर भी अल्पसंख्या में ही रहेंगे।”
उनका कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में कोरोना प्रकोप फिलहाल अपनी उतरान पर है, हालांकि बेसलाइन मामले संक्रमित यात्रियों के आने से थोड़े तो अधिक रहेंगे ही।
फिर ऑस्ट्रेलिया आने वाले यात्रियों से कोरोना जांच की यह मांग क्यों की जा रही है, और क्या यह नियम दूसरे देशों के यात्रियों पर भी लागू हो सकता है?

Passengers wearing face shields walk inside the Beijing Capital International Airport in China on 1 January 2023. Source: AAP / Mark R. Cristino/EPA
चीनी यात्रियों की जांच ‘राजनैतिक’ भी हो सकती है
स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया उड़ान से पहले जांच के नियम लागू करने में ‘पूरी अहतियात’ बरत रहा है। उनका कहना है दुनिया भर के कई देश जैसे अमरीका, यूनाइटेड किंगडम, जापान, भारत, साउथ कोरिया, मलेशिया, इटली, स्पेन और फ्रांस जैसे देशों ने भी यही नियम लागू किये हैं।
उन्होंने साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ तेड्रोस एडहेनोम घेबरेयोसेस की टिपण्णी भी याद दिलाई जिन्होंने ट्वीट कर कहा था कि, “चीन से पर्याप्त जानकारी के अभाव में यह समझा जा सकता है कि विश्व के बाकी देश ऐसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं जिनसे उन्हें लगता है कि उनकी जनसंख्या को सुरक्षित रखा जा सकता है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन खासकर चीन की ओर से कोरोना मामलों की जीनोमिक सिक्वेंसिंग की जानकारी की कमी को लेकर चिंतित है। जीनोमिक सिक्वेंसिंग की जानकारी नए वैरिएंट के फैलाव पर काबू पाया जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया समेत सभी दूसरे देश इस जानकारी को साझा करते हैं।
बीते हफ्ते, चीनी सीडीसी से वैज्ञानिकों ने 2000 से अधिक लोगों का जीनोमिक डेटा विश्व स्वास्थ्य संगठन को सौंपा है। इस डेटा के अनुसार स्थानीय संक्रमणों का 97.5 प्रतिशत हिस्सा BA.5.2 और BF.7 वैरिएंट से संक्रमित है। यह वैरिएंट दूसरे देशों में भी प्राप्त हुए हैं। हालांकि चीन में फ़िलहाल कोई नया वैरिएंट प्राप्त नहीं हुआ है, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि एक सार्वजानिक डेटाबेस में नियमित रूप से जीनोमिक डेटा जमा किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
चीन ने वृहद विरोध के बाद सालों से लागू है। लेकिन चीन ने 24 दिसंबर के बाद से दैनिक कोरोना मामलों की संख्या प्रकाशित करना बंद कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में कोविड मृत्यु गिने जाने के मानक भी अतिक्षीण हैं।
अधिकारीयों के पास चीन में फैले मौजूदा कोरोना प्रकोप के स्तर का आंकलन करने के लिए बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। इस बीच वहां के भरे हुए अस्पतालों और श्मशानों की आ रही तसवीरें चिंता का कारण बन रही हैं।

People rest while tending to their elderly relatives along a corridor of a hospital emergency ward in Beijing on January 3, 2023. Source: AAP / Andy Wong/AP
चीन की विदेश मंत्रालय प्रवक्ता माओ निंग ने चीनी यात्रियों पर लगने वाले कि इन प्रतिबंधों का कोई वैज्ञनिक आधार नहीं है।
उन्होंने कहा कि, “हम चीन में लागू कोरोना प्रक्रियाओं को राजनैतिक कारणों के लिए बदले जाने के दबाव का विरोध करते हैं, और इसके बदले में जैसे को तैसा के आधार पर ही नीतियों का निर्माण करेंगे।”
हालांकि यह ‘जैसे को तैसा’ वाली नीति क्या हो सकती है, यह साफ़ नहीं हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलिया से चीन की यात्रा करने वाले यात्रियों को पहले की उड़ान के 48 घंटों के भीतर एक नकारात्मक कोरोना जांच प्रमाण देना होता है।
क्या ऑस्ट्रेलिया दूसरे देशों से आ रहे यात्रियों पर भी जांच नियम लागू कर सकता है?
अमरीका के कुछ हिस्से, यूरोप और जापान में सर्दियों का मौसम आ चुका है जिससे कोरोना मामलों में बढ़ोतरी का खतरा बढ़ गया है। अमरीका में एक नया ओमिक्रोन वैरिएंट भी पाया गया है।
अमरीका के सेंटर्स फॉर डिजीज control एंड प्रिवेंशन के वैरिएंट ट्रैकर के अनुसार एक महीने में ही XBB.1.5 सबवैरिएंट संक्रमण दर अमरीका में कुल मामलों के 10 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत तक हो गयी है। हालांकि ऐसा लग रहा है कि यह सबवैरिएंट लेकिन यह अधिक गंभीर बिमारी का कारक हो, ऐसा नहीं लगता।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ क्वीन्सलैंड से सहायक प्रोफेसर पॉल ग्रिफिन कहते हैं कि मौजूदा समय में XBB.1.5 सबसे चिंताजनक कोरोना सबवैरिएंट है। यह ऑस्ट्रेलिया में पाया जा चुका है और यूनाइटेड किंगडम में भी फैल रहा है।
संक्रामक रोग चिकित्सक और मिक्रोबायोलोजिस्ट ग्रिफिन कहते हैं, “अगर केवल इस वजह को भी देखें, तो मुझे हैरत ज़रूर होती है कि हम ज़्यादा चिंताजनक प्रकोप वाले देशों के यात्रियों की जांच के बनिस्बत चीनी यात्रियों की जांच क्यों कर रहे हैं?”
प्रोफेसर ग्रिफिन का कहना है कि वैश्विक महामारी के मौजूदा चरण को देखते हुए उन्हें उम्मीद नहीं थी ऑस्ट्रेलिया किसी भी देश पर ऐसी पाबंदियां लगाएगा।
वे कहते हैं, “लेकिन हमने चीन के साथ ऐसा किया है। अगर hum चीन के साथ ऐसा कर रहे हैं, तो अमरीकी यात्रियों पर यह नियम लागू करना और भी अर्थपूर्ण लगता है, पर मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ होगा।”
उनका कहना है कि किसी एक जगह से आने वाले यात्रियों की जांच करना हमारे औचित्य को इसलिए भी नहीं सिद्ध करता क्योंकि लोग कई बार कई जगहों की यात्रा एक साथ कर रह होते हैं और कई रास्तों से ऑस्ट्रेलिया पहुँचते हैं।
वे कहते हैं, “मैं प्रार्थना करता हूँ कि हम यह नियम दूसरे देशों पर लागू न करें!”
“मुझे लगता है कि हमें अपनी आंतरिक निगरानी को कड़ा करना चाहिए, बजाय कि अस्थायी रूप से उसे लागू करने के – एक कड़ी, स्थायी निगरानी प्रणाली इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि वायरस कहीं महीम जाने वाला है।”
प्रोफेसर कौलीनॉन का मानना है कि अगर कोई नया वैरिएंट नहीं आता है तो अब नए प्रतिबंधों की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
“मेरे लिए, एक ऐसे वैरिएंट, जिसका तोड़ टीकाकरण से न हो, और जो घातक, गंभीर बीमारी का करक बने, के आने की सूरत में ही नए प्रतिबंध लगाना मान्य होगा,” उन्होंने कहा।
“ऐसा कोई वैरिएंट पिछले कुछ सालों में नहीं आया है और आगे भी ऐसा कुछ होने की उम्मीद नहीं है।”
“इतने सारे लोगों के संक्रमित होने के बाद हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि हम गंभीर बिमारी और मृत्यु को कैसे रोकें?”
प्रोफेसर कौलीनॉन कहते हैं कि टीकाकरण मृत्यु रोकने के सबसे ज़रूरी उपायों में से एक था।
इसके अलावा बाहरी गतिविधियों को प्रोत्साहन और मास्क का इस्तेमाल भी कुछ प्रभावी उपाय हैं।
ऑस्ट्रलियाई जनता को सुरक्षित रखने के लिए और क्या किया जा सकता है?
प्रोफेसर ग्रिफिन का मानना है कि वेस्टवाटर जांच जैसे उपाय, जिन्हें क्वीन्सलैंड और तस्मानिया राज्यों ने अब बंद कर दिया है, लागू कर के कोविड-19 की निगरानी को देश में कड़ा किया जा सकता है। उनका मानना है कि यह तरीके आने वाले यात्रियों की जांच कराने से बेहतर रोकथाम दे सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह सुनिश्चित करना कि लोग अब भी पीसीआर जांच करा रहे हैं, ताकि जीनोमिक सिक्वेंसिंग की जानकारी एकत्र होती रहे, भी रोकथाम का एक अच्छा उपाय है। इस सूची में बाहर से यात्रा कर के देश लौट रहे यात्रियों को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए।
वे कहते हैं कि, “हम ओमिक्रोन के फैलाव को रोकने का प्रयास कर के देख चुके हैं, और समझ चुके हैं कि यह मुमकिन नहीं है। अगर चीन में एक नया वैरिएंट आता भी है तो वह पडोसी देशों में तेज़ी से फैलेगा और केवल जांच नियमों से ही रोका नहीं जा सकेगा।”
स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर का कहना है कि सरकार हवाई जहाजों के मलिन जल यानी वेस्टवाटर की जांच करने की भी योजना बना रही है। इसी के साथ वे कहते हैं कि वे ऑस्ट्रेलिया भर में सामुदायिक वेस्टवाटर की जांच प्रणालियों की समीक्षा और सुदृढ़ता पर भी काम कर रहे हैं।

Travellers at Beijing airport on December 29, 2022. Source: AAP / Andy Wong/AP
ऑस्ट्रलियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष स्टीव रोब्सन कहते हैं कि “राजनैतिक प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला’ की जगह भविष्य के लिए एक साफ़ नियत योजना ऑस्ट्रलियाईयों को अधिक सुरक्षित रखेगी।
“हम एक सम्पूर्ण योजना देखना चाहते हैं जो यह बताये कि उत्तरी गोलार्ध में कोरोना की परिस्थिति से हम कैसे निपट रहे हैं, खासकर ऐसे समय पर जब यात्रा फिर जोरशोर से शुरू हो गयी है, और केवल राजनैतिक प्रतिक्रियाएं ही केंद्र में नज़र आ रही हैं,” उन्होंने एएपी से कहा।
“हम ऐसी योजना देखना चाहते हैं जो सार्वजानिक स्वास्थ्य प्रणालियों के आधार पर बनायीं गयी हो, और जो यह कहती हो कि संवेदनशील समय पर ऑस्ट्रलियाई जनता को किस तरह सुरक्षित रखा जा सकता है?”
प्रोफेसर रोब्सन कहते हैं कि वे समझते हैं कि लोग अब कोरोना प्रणालियों से थक गए हैं लेकिन अगर कुछ मूलभूत सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया तो और भी लोगों की जान महामारी के नाम पर जा सकती है।
उन्होंने कहा कि, “हम महामारी के सबसे घातक साल से बस उबर कर बाहर आये ही हैं... हम एक ऐसी योजना देखना चाहते हैं जो साक्ष्य के आधार पर निर्मित हो, लचीली हो और अच्छे सार्वजानिक स्वास्थ्य सिद्धांतों पर आधारित हो।”
“अब तक हमने सरकार से केवल एक कच्ची-पक्की योजना के अलावा कुछ नहीं सुना है... अब समय आ गया है कि वे टुकड़ों में योजना बनाना बंद करें और एक संपूर्ण कार्यप्रणाली पर केन्द्रित हों।”
एएपी के साथ
के साथ।