अवतार सिंह ने 2009 में प्रोविजनस स्किल्ड वीसा के लिए अप्लाई किया था. वह आज भी उसके नतीजे का इंतजार कर रहे हैं.
भारतीय मूल के अवतार 38 साल के हैं. वह 2005 में स्टूडेंट वीसा पर ऑस्ट्रेलिया आए थे. तब उन्होंने प्रोविजनस स्किल्ड वीसा के लिए अप्लाई किया. आधार था. उनका वीईटी कोर्स और मोटर मकैनिक के तौर पर किया हुआ काम. लेकिन इमिग्रेशन विभाग ने उनके रेफरेंस लेटर को फर्जी बताते हुए 2012 में उनकी अर्जी खारिज कर दी.
दरअसल, अवतार सिंह का रेफरेंस लेटर एक ट्रेड्स टीचर कारमाइन आमारांते ने बनाया था. आमारांते को बाद में सैकड़ों लोगों को फर्जी वर्क रेफरेंस जारी करना का दोषी पाया गया.
जब अवतार सिंह ने वीसा ना देने के फैसले के खिलाफ अपील की तो ट्राइब्यूनल में उन्होंने बताया कि वह अमारांते से खुद कभी नहीं मिले और उनका वर्क रेफरेंस तो उस व्यक्ति ने दिया था जिसके लिए वह काम करते थे.
उनकी दलील नहीं चली और 2015 में माइग्रेशन रिव्यू ट्राइब्यूनल ने उनकी अर्जी खारिज कर दी.
अवतार सिंह बताते हैं, “इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने यह नहीं बताया कि उन्होंने मेरे लेटर को फर्जी किस आधार पर माना. उन्होंने ट्राइब्यूनल में एक हलफनामा दिया कि हमसे आधार ना पूछा जाए.”
मामला फेडरल सर्किट कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने ट्राइब्यूनल को गलती पर पाया. फिर फुल फेडरल कोर्ट ने भी 2016 में अवतार के पक्ष में फैसला दिया. इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने हाई कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन डाली जो मई 2107 में खारिज हो गई.
लेकिन उसके बाद से अवतार सिंह को कोई सूचना नहीं मिली है. वह इंतजार कर रहे हैं कि कब ऐडमिनिस्ट्रेटिव अपील्स ट्राइब्यूनल उसके मामले पर फैसला सुनाएगा.
वह पत्र लिखकर पूछ चुके हैं कि फैसला कब आएगा. वह कहते हैं, “दस साल हो गए हैं. मैं कहता हूं कि जो भी नतीजा हो मेरे मामले का, मुझे बता तो दो.”
अवतार मेलबर्न में टैक्स चलाते हैं. वह कहते हैं कि वीसा की इस लड़ाई ने उनका घर तुड़वा दिया और उन्हें एकदम अकेला कर दिया.
अवतार बताते हैं, “जब मैंने वीसा के लिए अप्लाई किया था, उसके कुछ ही दिन बाद मेरी शादी हुई थी. मेरी पत्नी यहां आ गई. लेकिन जब मेरा वीसा खारिज हो गया तो मुझे ब्रिजिंग वीसा लेना पड़ा. तब मेरे ससुराल वालों ने सोचा कि मैंने उनसे झूठ बोला है. मेरी पत्नी वापस चली गई. और फिर हमारे बीच दूरियां बढ़ती चली गईं.”
अवतार बताते हैं कि उनके साथ पढ़ने वाले सारे दोस्त अब जिंदगी में जम चुके हैं, उनके परिवार हैं, बच्चे हैं. “मैं उन लोगों के साथ घुल मिल नहीं पाता. मैं अपने माता-पिता को भी फोन नहीं करता क्योंकि वे भी बस यही पूछते हैं कि सेटल कब हो रहे हो. मेरे पास कोई जवाब नहीं है. ऐसा लगता है जिंदगी के पिछले 14 साल बर्बाद हो गए. पता नहीं अभी कितना वक्त और लगेगा.”