वीसा 25 तक का, कोर्ट की सुनवाई 31 को

सीमा की आज वापसी की फ्लाइट है. उनके वीसा मामले की सुनवाई 31 को है लेकिन वीसा 25 तक का है. पर वह बिना अवैध वीसा के एक दिन भी ऑस्ट्रेलिया में नहीं रहना चाहतीं.

Marriage

Immigration cost is pushing Indian migrants to look for partners in Australia. Source: Wikipedia Commons

दिसंबर 2014 में अशोक से शादी होने के बाद सीमा को स्टूडेंट डिपेंडेंट वीसा मिला था. “सितंबर 2015 में मैं ब्रिसबेन पहुंची थी. पहला महीना तो बहुत अच्छा था. अशोक का व्यवहार बहुत अच्छा था. पर फिर वह बदलने लगा,” सीमा बताती हैं.

अशोक को टेंपररी बिजनस एंट्री (सबक्लास 457) वीसा मिल गया तो उसने सीमा के लिए ब्रिजिंग वीसा ले लिया ताकि वह काम कर सके. अशोक ने एक रेस्तरां शुरू किया था और सीमा वहीं बतौर कर्मचारी काम कर सकती थी. सीमा को 15 मार्च 2016 को वीसा मिला.

लेकिन सीमा कहती हैं कि अशोक बहुत झगड़ालू हो गया था. वह कहती हैं, “बहुत गंदा बोलता था. कई बार उसने मुझे मारा भी. मैं रेस्तरां में कई कई घंटे काम करती लेकिन मुझे कोई वेतन नहीं मिलता था. मुझे कोई पैसा नहीं मिला. अशोक ने कहा कि सारा पैसा मुझे ऑस्ट्रेलिया लाने में खर्च हो गया इसलिए मुझे मेहनत करनी होगी.”

अशोक और सीमा दोनों की ही ये दूसरी शादी थी. सीमा को नहीं पता कि अशोक की पहली शादी में क्या हालात थे. “अशोक के दोस्तों ने मुझे बताया कि वह अपनी पहली पत्नी के साथ भी दुर्व्यवहार करता था और इसीलिए वह भी छोड़कर चली गई. बाद में पता चला कि उसने तो पुलिस में भी शिकायत की थी,” सीमा बताती हैं.

सीमा को ना तो अपने अधिकारों का पता था और ना किसी विकल्प की जानकारी थी. इसलिए उन्होंने कभी शिकायत भी नहीं की. लेकिन एक दिन पड़ोसियों ने पुलिस को बुलाया. और सीमा कहती हैं कि अशोक ने सारी बात रफा-दफा करने की कोशिश की. सीमा ने भारत में अपने परिवार को भी इस बारे में कुछ नहीं बताया क्योंकि वह उन्हें परेशान नहीं करना चाहती थीं.

लेकिन पिछले साल हालात बर्दाश्त से बाहर हो गए क्योंकि बकौल सीमा, अशोक ने एक दिन लगभग उनका गला दबाने की कोशिश की. उसके बाद उन्होंने घर छोड़ दिया. उन्हें लगा कि भारत लौट जाना ही उनके लिए सबसे सही विकल्प होगा.

वह उस दिन को याद करते हुए बताती हैं, “मैं घर से निकली और रेलवे स्टेशन पहुंची. वहां बैठकर बहुत देर तक रोती रही. एक पंजाबी लड़की ने मुझे देखा और मुझसे बात की. मैंने उसे सब बताया. उसने हौसला दिया और कहा कि मैं एक बहादुर लड़की हूं. उसने कहा कि मुझे ऑस्ट्रेलिया से जाने की क्या जरूरत है जबकि मेरे पास 2020 तक का वीसा है. मैंने बताया कि अशोक ने मेरा 457 डिपेंडेंट वीसा कैंसल करा दिया है और अब मेरे पास 25 जनवरी 2018 तक का ही वक्त है.”

उस पंजाबी लड़की ने सीमा को अपने साथ रहने को कहा और कानूनी लड़ाई में मदद का आश्वासन दिया. सीमा उस लड़की के साथ लगभग 25 दिन रही. इस दौरान कोर्ट में एक सुनवाई हुई लेकिन वीसा नहीं मिला. अब सीमा के पास 25 जनवरी तक का वीसा है जबकि उनके मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी को है. सीमा कहती हैं, “अब कोई और विकल्प नहीं है. 23 तारीख की टिकट है वापसी की. लेकिन मैं बतौर स्टूडेंट यहां वापस आने की कोशिश र अपनी जिंदगी फिर से खड़ी करूंगी.”

पिछले दो महीनों से सीमा का मामला देख रहीं ब्रिसबेन की सामाजिक कार्यकर्ता जतिंदर कौर कहती हैं कि सीमा का वीसा 25 तक का है और सुनवाई छह दिन बाद है लेकिन “सीमा बिना वैध वीसा के ऑस्ट्रेलिया में नहीं रहना चाहतीं.”

जतिंदर कहती हैं कि सीमा जैसी बहुत सी महिलाएं हैं जो अपने वीसा स्टेटस के कारण इमिग्रेशन ऐक्ट के फैमिली प्रोविजंस का लाभ नहीं उठा पातीं. इनमें 457 स्पाउस वीसा, न्यू जीलैंड टेंपररी वीसा, स्टूडेंट वीसा, स्टूडेंट वीसा और बिजनस स्किल्ड वीसा शामिल हैं.

* Seema and Ashok are not their real names. 

PLEASE NOTE: If you are seeking help regarding a family violence matter, please call 1800 RESPECT or 1800 737 732. This is a free call, from anywhere within Australia and if you can't speak English fluently, an interpreter can be arranged. In case of emergency, please call 000.


Share

Published


Share this with family and friends