ऐडमिनिस्ट्रेटिव अपील्स ट्राइब्यूनल ने उनकी नागरिकता छीने जाने के फैसले को सही ठहराया है. सिडनी में रहने वाले रमनदीप सिंह को 2007 में ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता मिली थी लेकिन पिछले साल जून में गृह मंत्रालय पीटर डटन ने ‘ऑस्ट्रेलियाई समाज के हित’ की दलील देते हुए उनकी नागरिकता वापस ले ली थी.
38 वर्षीय मनदीप सिंह पर ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता पाने के लिए गलत जानकारी देने के आरोप थे, जिन्हें उन्होंने 2017 में कोर्ट के सामने कबूल लिया था. इसलिए उन्हें सैकड़ों घंटे सामुदायिक सेवा की सजा भी सुनाई गई थी.
ट्राइब्यूनल के फैसले के मुताबिक रमनदीप सिंह का असली नाम अमनदीप सिंह था. वह 1997 में 16 वर्ष की आयु में स्टूडेंट वीसा पर ऑस्ट्रेलिया आए थे. 19 साल की उम्र में उन्होंने एक ऑस्ट्रेलियाई महिला से शादी कर ली और ऑस्ट्रेलियाई वीसा के लिए अप्लाई किया. लेकिन 2002 में यह शादी टूट गई. उनकी पत्नी ने वीसा अर्जी से समर्थन वापस ले लिया और रमनदीप सिंह भारत लौट गए.
हालांकि तब उनके पास वीसा था और वह 20 मार्च 2003 तक ऑस्ट्रेलिया आ सकते थे. लेकिन 15 मार्च 2003 को उन्होंने भारत में दूसरी शाद की. उनकी दूसरी पत्नी भी ऑस्ट्रेलिया की नागरिक थी. उन्होंने रमनदीप सिंह घुम्मन के नाम से नया पासपोर्ट बनवाया और क्लास यूएफ सब क्लास 309 – पार्टनर वीसा पर ऑस्ट्रेलिया आ गए. 20 नवंबर 2007 को रमनदीप सिंह घुम्मन ऑस्ट्रेलिया के नागरिक बन गए.
21 फरवरी 2017 को घुम्मन को छह आरोपों में कोर्ट में पेश किया गया. उन पर माइग्रेशन ऐक्ट और ऑस्ट्रेलियन सिटिजनशिप ऐक्ट के तहत गलत जानकारी देने के आरोप थे जिन्हें उन्होंने कबूल कर लिया.
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, “ये सारे अपराध स्पाउजल वीसा, पार्टनर वीसा पाने के लिए किए गए थे. बाद में उन्होंने नागरिकता के लिए अप्लाई किया और अपने पिता का अंतरिम वीसा अप्लाई किया. गलत जानकारी विभाग की अंदरूनी जांच में सामने आई.”
जज रसेल ने उन्हें सामुदायिक सेवा की सजा सुनाई.
इस सजा के बाद गृह मंत्रालय ने रमनदीप सिंह की नागरिकता वापस लेने का फैसला किया. इस फैसले के खिलाफ उन्होंने अपील की लेकिन ट्राइब्यूनल ने उनकी अर्जी खारिज कर दी.