इन बच्चों ने मिलकर अपने बाल दान किए हैं. इनके बाल कुछ ऐसे बच्चों को खुशी दे सकते हैं जिनके सिर पर किसी बीमारी की वजह से बाल नहीं हैं. अपने जैसे कुछ बच्चों को अच्छा महसूस कराने के लिए इन तीन बच्चों ने करीब 6 महीने तक बड़ी मेहनत से बाल बढ़ाए. यही नहीं इसके लिए इन्हें रोज़ अपने बालों का ख़्याल रखना पड़ता था. ये अपने बालों में किसी भी तरह के कैमिकल या कलर का प्रयोग भी नहीं कर सकते थे.
5 साल की विधि ने की शुरूआत
इसकी शुरूआत विधि की एक दोस्त ने की उसने विधि की बाल दान करने के बारे में बताया 5 साल की विधि डोनेशन का मतलब भी नहीं जानती थी. लेकिन जब उसके घरवालों ने उसे समझाया तो विधि ने ठान ली कि वो ज़रूरतमंद बच्चों के लिए अपने बाल लंबे करेंगी विधि का साथ देने के लिए रिया और भाविका भी तैयार हो गईं. विधि की मां स्वाति बताती हैं कि बालों को स्वस्थ और सही रखने में पिताओं का भी बड़ा रोल रहा उन्होंने भी लंबे बाल बनाना सीखा, उन्होंने भी ख़्याल रखा कि बच्चों के बाल ना टूटें.
वेबसाइट से जुटाई आर्थिक मदद

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9 साल की रिया बताती हैं कि बालों को दान करने का उनका अनुभव शानदार रहा. उन्हें महसूस हुआ कि इतनी छोटी सी उम्र में भी वो किसी के काम आ सकती हैं. उधर भाविका ने बताया कि माता-पिता की मदद से उन्होंने एक वेबसाइट भी बनाई है जिसके ज़रिए वो अब तक करीब 9 हज़ार डॉलर जुटा चुकी हैं.
माता-पिता को बच्चों पर फख्र

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रिया के पिता रितेश दुग्गल बताते हैं कि जब बच्चों ने बाल बढ़ाने की ठान ली तो उन्होंने उनकी अच्छी सोच को सपोर्ट करने का काम किया, उन्होंने ख़्याल रखा कि बच्चे अपने काम में सफल रहें. इन बच्चों के बाल काटने वाली हेयर ड्रेसर भी इसी तरह के अभियान से जुड़ी हैं. उधर भाविका की मां रितु कक्कड़ कहती हैं कि भले ही इन बच्चों के डोनेशन से एक विग जितने बाल भी इकट्ठे नहीं हो पाए हैं लेकिन जो जज़्बा इन बच्चों ने दिखाया है वो कई दूसरे लोगों को प्रेरित करेगा.