क्वीन्सलैंड के जोसेफ बोर्ग की जिंदगी अचानक अंधियारी हो गई. एक सर्जरी के बाद उनकी एक आंख की रोशनी चली गई. डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनकी आंख में खून का रिसाव हो गया है जिस कारण उन्हें 'एट-बॉल हाइथीमा' हो गया.
बोर्ग कहते हैं कि तब उन्हें अहसास हुआ कि देखने की क्षमता कितनी जरूरी होती है. और वह डर रहे थे कि अब बाकी जिंदगी ऐसे ही बीतेगी. लेकिन बीते साल उन्हें सिडनी के डॉ. बाला चंद्रा के पास भेजा गया.
चंद्रा ने उन्हें एक इलाज बताया. पर एक दिक्कत थी. यह इलाज पहले किसी और पर आजमाया नहीं गया था. बोर्ग कहते हैं, "वह 100 फीसदी गारंटी तो नहीं दे सकते थे लेकिन उन्होंने कहा कि काफी संभावनाएं हैं."

Professor Chandra Bala is a leader in innovative eye treatment methods. Source: SBS World News
बोर्ग ने खतरा उठाया और आठ महीने बाद वह पूरी तरह ठीक हो गये.
न्यू साउथ वेल्स के 'पर्सनल आइज' क्लिनिक्स के डायरेक्टर ऑफ सर्जरी प्रोफेसर चंद्रा बाला की दवा काम कर गई थी. उन्होंने आंखों के इलाज में कई महत्वपूर्ण खोजें की हैं.
प्रोफेसर बाला 1980 के दशक में भारत से अपने परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया माइग्रेट हुए थे. वह बताते हैं कि एक तमिल कहावत ने उन्हें नए नए प्रयोग करने की प्रेरणा दी. बाला कहते हैं, "जितनी मिट्टी आपके हाथ में है, आप उतना ही जानते हैं. बाकी दुनिया के बारे में तो आपको पता ही नहीं."
चंद्रा कहते हैं कि संभावनाएं अनंत हैं और यही सबसे उत्साहजनक बात है.