याहया फारूक मोहम्मद ने बीती जुलाई में अपना जुर्म कबूल कर लिया था. उसने माना था कि उसने अपने केस की सुनवाई कर रहे जज की हत्या की साजिश भी रची थी.
कुछ शर्तों पर याहया ने सरकार के साथ समझौता किया है. इसके तहत सजा पूरी हो जाने के बाद उसे डिपोर्ट कर दिया जाएगा.
मोहम्मद और उसके भाई इब्राहिम जुबैर की गिरफ्तारी 2015 में हुई थी. इसी मामले में दो और लोगों आसिफ अहमद सलीम और सुल्तान रूम सलीम को भी गिरफ्तार किया गया था. बाकी तीनों आरोपियों ने गुनाह कबूल नहीं किया है.
मोहम्मद और उसका भाई भारतीय नागरिक हैं. मोहम्मद का जन्म यूएई में हुआ था. उसने 2002 से 2004 के बीच ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी.
उसने 2009 में अल कायदा नेता अल-अवलाकी से 2009 में यमन में मिलने की कोशिश भी की थी लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई थी. तब उसने अल-अवलाकी के साथी को 22 हजार अमेरिकी डॉलर दिए थे. अल-अवलाकी 2011 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था.