33 वर्षीय शालिना पद्मनाभा ने को 2017 के एक मामले में गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया गया. पद्मनाभा को ब्रिटेन की एक अदालत ने बीते शुक्रवार छह साल की सजा सुनाई.
शालिना पद्मनाभा की बेटी शगुन का जन्म आईवीएफ के जरिए लंबी कोशिशों के बाद हुआ था. शगुन का जन्म समयपूर्व हो गया था और उसे करीब साढ़े चार महीने अस्पताल में रखा गया था.
इसके तीन महीने बाद ही शगुन की जान चली गई.
ओल्ड बेली कोर्ट में सजा सुनाते वक्त जस्टिस पैट्रिशिया मैक्गॉवन ने कहा, "आप इस बच्ची के साथ मारपीट कर रही थीं या फिर आपको उसके फौरन बाद पता चल गया था कि आपने कुछ ऐसा कर दिया है जो नहीं करना चाहिए था."
"मैं पूरी तरह मानती हूं कि आप अपनी बच्ची की मौत से बेहद दुखी हैं लेकिन यह कहना पूरी तरह गलत होगा कि आपको अपने किए का कोई पछतावा है. अब भी आप अपनी जिम्मेदारी स्वीकार नहीं कर रही हैं."
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि शगुन को 15 अगस्त 2017 को पूर्वी लंदन के विप्स क्रॉस अस्पताल में लाया गया था. उसके सिर पर चोट लगी हुई थी. उसकी खोपड़ी की हड्डियों में 8 सेंटीमीटर और 11 सेंटीमीटर लंबे फ्रैक्चर थे. उसकी टांगों पर भी चोट लगी थी.
ये चोटें या तो किसी चीज को सिर पर मारने से लगी थीं या फिर उसे सख्त जगह पर पटका गया था.
इन चोटों के कारण शगुन की मौत हो गई.
पोस्टमॉर्टम के दौरान डॉक्टरों को कुछ पुरानी चोटें भी मिलीं जो ठीक हो रही थीं. डेली मिरर अखबार ने लिखा कि बच्ची की पसलियां टूटी हुई थीं और आखों के पीछे के हिस्से में भी खून बह रहा था.
विशेषज्ञों के मुताबिक बच्ची को बुरी तरह हिलाया गया होगा, उसकी पसलियों को कुचला गया होगा और उसकी टांग को मरोड़ा गया होगा.
अदालत में शालिना ने कहा कि उसे चोटों के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
जूरी ने शालिना को हत्या का दोषी नहीं पाया लेकिन उसे गैर इरादतन हत्या और बच्चों के खिलाफ क्रूरता के आरोपों में दोषी पाया.
एक बयान में शगुन के पिता ने कहा कि वह ताउम्र इस दुख के साथ जिएंगे.
उन्होंने कहा, "पूरी उम्र मैं इस दुख के साथ जिऊंगा कि अपनी बच्ची को दोबारा नहीं देख पाऊंगा. मैं उसे बड़ा होते, पढ़ते और अपनी जिंदगी जीते नहीं देख पाऊंगा. मैंने और मेरे परिवार ने एक बेशकीमती इंसान खो दिया है."