32 साल के गरेवाल का ऑस्ट्रेलियाई भविष्य अब इमिग्रेशन मिनिस्टर पीटर डटन के हाथों में है. अगर डटन ने उनके पक्ष में फैसला नहीं लिया तो गरेवाल को आने वाले सोमवार को ऐडिलेड से भारत की फ्लाइट लेनी होगी. और उनका परिवार यहीं रह जाएगा.
उन्होंने एसबीएस पंजाबी को बताया, "मेरी पत्नी और बेटा तो ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैं. अगर उन्हें साथ लेकर जाऊं तो पता नहीं कितने दिन वे लोग वहां रह पाएंगे. पिछले 10 साल से मैं ऑस्ट्रेलिया में हूं. यहीं काम करता रहा हूं. अब भारत में ना मेरे पास कोई नौकरी है ना आय का कोई और साधन." गरेवाल की पत्नी रूपिंदर कौर और बेटा अंगदवीर ऑस्ट्रेलिया के नागरिक हैं.
हरप्रीत गरेवाल 20018 में एक स्टूडेंट के रूप में ऑस्ट्रेलिया आए थे. यहीं 2011 में उनकी मुलाकात रूपिंदर से हुई. रूपिंदर उस वक्त पर्मानेंटर रेजिडेंट थीं. 2012 में उन्होंने शादी कर ली.
उसके बाद गरेवाल स्पाउज वीसा पर थे लेकिन उस दौरान कुछ महीने के लिए उनकी पत्नी से उनका अलगाव हुआ था. स्पाउज वीसा पर किसी भी ऐप्लिकेंट को कम से कम दो साल तक रहना होता है. अलगाव को आधार बनाकर इमिग्रेशन विभाग ने हरप्रीत गरेवाल की परमानेंट रेजिडेंसी की अर्जी खारिज कर दी थी.
उन्होंने माइग्रेशन रिव्यू ट्राइब्यूनल और फेडरल सर्किट कोर्ट में अपील की लेकिन वहां से भी उनकी अपील खारिज हो गई. अधिकारियों को लगता है कि गरेवाल सिर्फ परमानेंट वीसा पाने के लिए रिश्ते में थे. विभाग का कहना है कि पति-पत्नी सिर्फ 16 महीने साथ रहे हैं जबकि गरेवाल दंपती का कहना है कि 10 महीनों को छोड़ दें बाकी पांच साल में वे हमेशा साथ रहे हैं.
रूपिंदर कौर हाउस वाइफ हैं. वह कहती हैं कि अगर उनके पति को लौटना पड़ा तो उनके बेटे के लिए बहुत बुरा होगा. रूपिंदर ने एसबीएस पंजाबी से कहा, "अंगदवीर अपने पिता को लौटने की तैयारी करते देख बहुत दुखी है. वह अपने पिता से बहुत प्यार करता है और अगर उन्हें जाना पड़ा तो हमारे परिवार के लिए सब खत्म हो जाएगा."
हरप्रीत से कहा गया है कि वह भारत जाकर वीसा के लिए दोबारा अप्लाई करें. लेकिन उनका कहना है कि अगर उन्हें डिपॉर्ट किया जाता है तो उनके लौटने का आसार बहुत कम होंगे.